ओ बेदर्दी, आ मिल जल्दी, मिलने के दिन आए कि तेरे बिन अब तो रहा न जाए कारी कोयलिया सुन मेरे छलिया, डार-डार चिल्लए कि तेरे बिन अब तो रहा न जाए, कि तेरे बिन अब तो रहा न जाए फागुन बीता चैत चढ़ गया, घर-घर बजे बधाए डोली लेके हर प्यारी के प्यारे साजन … Continue reading
नाच रे धरती के प्यारे, तेरे अरमानों की दुनिया समने है तेरे आज तेरे घर होने को हैं फिर ख़ुशियों के फेरे धान की बाली, ये हरियाली कहती है तुझसे रे जैसे-तैसे कट गई ग़म की रात काली गली-गली शोर है, आएगी दीवाली कड़ी मेहनत की फ़सल, अपने धीरज का ये फल, मीठा लागे रे … Continue reading