ज़िंदगी ख़्वाब है था हमें भी पता पर हमें ज़िंदगी से बहुत प्यार था सुख भी थे, दुख भी थे दिल को घेरे हुए चाहे जैसा था रंगीन संसार था आ गई थी शिकायत लबों तक मगर किससे कहते तो क्या, कहना बेकार था चल पड़े दर्द पीकर तो चलते रहे हारकर बैठ जाने से … Continue reading
लकडी जल कोयला भई, कोयला जल भयो राख मैं पापन ऐसी जली, न कोयला भई न राख मोरी बाली रे उमरिया, अब कैसे बीते राम रो-रोके बोली राधा, मोहे तजके गयो श्याम मोरी बाली रे उमरिया जो छोड़के ही जना था, तूने काहे को प्रीत लगाई मेरे मीत तेरा क्या बिगड़ा, मेरी हो गई जगत-हँसाई … Continue reading
ज़िंदगी का अजब फ़साना है रोते-रोते भी मुस्कुराना है इश्क़ में जानते हैं जान गई फिर भी कहते हैं आज़माना है कैसी मुश्किल है कोई क्या जाने आग को आग से बुझाना है दिल लगाया था पर न थी ये ख़बर मौत का ये भी एक बहाना है दिल तो कहता है तेरे पास चलूँ … Continue reading
कुछ और ज़माना कहता है, कुछ और है ज़िद मेरे दिल की मैं बात ज़माने की मानूँ, या बात सुनूँ अपने दिल की कुछ और ज़माना कहता है दुनिया ने हमें बेरहमी से ठुकरा जो दिया, अच्छा ही किया नादाँ हम समझे बैठे थे, निभती है यहाँ दिल से दिल की कुछ और ज़माना कहता … Continue reading