कुछ और ज़माना कहता है, कुछ और है ज़िद मेरे दिल की मैं बात ज़माने की मानूँ, या बात सुनूँ अपने दिल की कुछ और ज़माना कहता है दुनिया ने हमें बेरहमी से ठुकरा जो दिया, अच्छा ही किया नादाँ हम समझे बैठे थे, निभती है यहाँ दिल से दिल की कुछ और ज़माना कहता … Continue reading