रुलाकर चल दिए एक दिन हँसी बनकर जो आए थे चमन रो-रोके कहता है, कभी गुल मुस्कुराए थे रुलाकर चल दिए एक दिन हँसी बनकर जो आए थे अगर दिल के ज़ुबाँ होती, ये ग़म कुछ कम तो हो जाता उधर वो चुप, इधर सीने में हम तूफ़ाँ छुपाए थे ये अच्छा था न हम … Continue reading
गुल मुस्कुरा उठा, बुलबुल ये गा उठा बाग़ों में आ गई बहार, बाग़ों में आ गई बहार दुल्हन के जैसी नई ज़िंदगी का आज ये पहला दिन है ख़ुशीका मौसम ये प्यार का, साज़-ओ-सिंगार का बाग़ों में आ गई बहार गुल मुस्कुरा उठा, बुलबुल ये गा उठा बाग़ों में आ गई बहार, बाग़ों में आ … Continue reading