मिलजुलके काटो ग़रीबी के फंदे मिलजुलके काटो रे लोगो, दुख-सुख बाँटो रे बड़ी दयावान भाई बड़ी मेहेरबान है हम सब पे ये धरतीमाता, धरतीमाता सोने की खान कहीं गेहूं कहीं धान रे हम सबकी ये अन्नदाता, धरतीमाता फिर भी आसमाँ के तले, काहे भूख-प्यास पले दुख-सुख बाँटो रे मिलजुलके काटो … जीवन के सागर में … Continue reading
बाँसुरिया काहे बजाई, बिन सुने रहा नहीं जाए रे मीठी नज़र काहे मिलाई, बिन देखे रहा नहीं जाए रे बाँसुरिया काहे बजाई, बिन सुने रहा नहीं जाए रे जाने-अनजाने जब मुख पे किसीके आए तेरा नाम सरसे सरक जाए चुनरी, सहेली करे बदनाम होवे रे हमरी जगतहँसाई, रे कान्हा बाँसुरिया काहे बजाई … हँस-हँस जादू … Continue reading
हो धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी हो धीरे-धीरे कोई कहे तूफ़ान उठा, कोई कहे रे आई जवानी हो धीरे-धीरे चढ़ गया नदी में पानी हो धीरे-धीरे दिल में बैठा कोई दिल की धड़कन गिनता जाए मेरे मन के भेद चुराकर अपने भेद छुपाए जो-जो मेरी प्रीत बढ़े, मैं होती जाऊँ दीवानी हो धीरे-धीरे चढ़ … Continue reading
आग छिड़क गई चाँदनी मेरे गोरे बदन पे, मेरे कोमल मन पे हाय, आज मैं जर गई, जर गई, जर गई रे लहरों के संग छम-छम नाचे किरनों की जोड़ियाँ धीरे-से कोई खींचे दिल के पर्दों की डोरियाँ झूमके क्या कहता है आसमाँ, न समझे मेरे साजना हाय, आज मैं जर गई, जर गई, जर … Continue reading