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१९५२ – परबत – बेरहम, मार डालेगा मुझको तेरा ग़म | 1952 – Parbat – beraham maar dalega mujhako tera gham

बेरहम, मार डालेगा मुझको तेरा ग़म अब तो आजा, मेरे बालम, अब तो आजा ये समाँ, ओ सनम, बेबसी का ये आलम अब तो आजा, मेरे बालम, अब तो आजा हमने माना हमारा क़सूर है देके दिल दर्द होता ज़रूर है दर्द में मुस्कुराना सिखा जा, आजा अब तो आजा, मेरे बालम, अब तो आजा … Continue reading

१९५२ – नौबहार – फूल चुन ले मेरे बालम | 1952 – Nau Bahar – phool chun le mere balam

फूल चुन ले मेरे बालम कि जाने कब डाल झुके, जाने कब आवे ये मौसम जैसे गाल किसी गोरी के, ऐसे खिले गुलाब सूरज की चंचल किरनों की नीयत हुई ख़राब चलते हैं तीर हरदम कि जाने कब डाल झुके, जाने कब आवे ये मौसम रात के तारे फुलवा बन गए सपनों के सौ रंग … Continue reading

१९५२ – परबत – क्या बताऊँ मोहब्बत है क्या | 1952 – Parbat – kya bataoon mohabbat hai kya

क्या बताऊँ मोहब्बत है क्या सीने में रह-रहके दर्द उठ रहा है, मगर आ रहा है मज़ा क्या बताऊँ मोहब्बत है क्या मौसम तो हरदम बदलते रहे हैं अरमान दिल के मचलते रहे हैं क्या बात है, छूके आँचल मेरा भाग जाती है पागल हवा क्या बताऊँ मोहब्बत है क्या पहले-भी तूफ़ान आते रहे हैं … Continue reading

१९५२ – परबत – मीठी-मीठी बातों से | 1952 – Parbat – meethi meethi baaton se

मीठी-मीठी बातों से, भोली-भाली घातों से दिल मेरा अकेले में लूट लिया, हाय राम दूर से उन्होंने किए ऐसे कुछ इशारे मैं तो गड़ गई ज़मीन में शरम के मारे दिल में कोई चीज़ चुभी, मैं निकालने में लगी ऐसे झमेले में लूट लिया, हाय राम मीठी-मीठी बातों से, भोली-भाली घातों से दिल मेरा अकेले … Continue reading

१९५२ – संस्कार – दो नैनों ने जाल बिछाया | 1952 – Sanskaar – do naino ne jaal bichhaya

दो नैनों ने जाल बिछाया, और दो नैना उलझ गए एक वही बेदर्द ना समझा, दुनियावाले समझ गए दिल था एक बचपन का साथी, वो भी मुझको छोड़ गया निपट अनाड़ी अनजाने से मेरा नाता जोड़ गया मैं बिरहन प्यासी की प्यासी, सावन आए बरस गाए बैठे हैं वो तन-मन घेरे, फिर-भी कितनी दूर हैं … Continue reading

१९५२ – संस्कार – बदलेगी ये दुनिया एक दिन | 1952 – Sanskaar – badlegi ye duniya ek din

बदलेगी ये दुनिया एक दिन बदलेगी, बदलेगी आसमान की बिटिया धरती, गिरकर फिर से सँभलेगी बदलेगी ये दुनिया एक दिन बदलेगी, बदलेगी बदलेगी ये दुनिया हम बच्चे लाए हैं अपनी क़िस्मत अपनी मुट्ठी में गुदडी में लाल हज़ारों, हीरे बिखरे मिट्टी में एक दिन हम बच्चों की डोरी चाँद-सितारे छू लेगी बदलेगी ये दुनिया एक … Continue reading

१९५२ – संस्कार – जीनेवाले ओ मतवाले ज़िंदगी से प्यार कर | 1952 – Sanskaar – jeenewale o matwale zindagi se pyar kar

जीनेवाले ओ मतवाले, ज़िंदगी से प्यार कर, प्यार कर यूँ न बैठ ज़िंदगी में ज़िंदगी से हार कर, प्यार कर जीनेवाले मूरख ना डर, देख अँधेरा होगा कभी तो सवेरा रंज-ओ-ग़म से ज़िंदगी के रूप का सिंगार कर, प्यार कर जीनेवाले ओ मतवाले, ज़िंदगी से प्यार कर, प्यार कर जीनेवाले जो दुख भी आए तो … Continue reading

१९५२ – संस्कार – अँधी क़िस्मत किसे ले चलेगी कहाँ | 1952 – Sanskaar – andhi qismat kise le chalegi kahan

अँधी क़िस्मत किसे ले चलेगी कहाँ, हाय, कोई जाने ना ग़म के हाथों किसे बेच देगी कहाँ, हाय, कोई जाने ना हाय, कोई जाने ना, किस गड़ी घेर ले ग़म की काली बदली किसके सर जाने कब फट पड़े आसमाँ, हाय, कोई जाने ना बचके चलते हैं सब, ज़िंदगी की डगर फिर भी मुश्किल हैं … Continue reading

१९५२ – संस्कार – हँसें टिम-टिम-टिम छोटे-छोटे तारे | 1952 – Sanskaar – hanse tim tim tim chhote chote tare

हँसें टिम-टिम-टिम छोटे-छोटे तारे कहे चंदा भी आ जा, आ जा, आ रे तेरा नाम ले पुकारे तुझे नींद की परी सो जा, सो जा रे मेरे प्यारे, सो जा, सो जा रे मेरे प्यारे बगिया में सोए जैसे गेंदा-गुलाब, सोएगा लाल मेरी गोदी में सागर में सीप जैसे मंदिर में दीप, मेरा गोपाल मेरी … Continue reading

१९५२ – संस्कार – प्रीत निभानी बालमा तुम क्या जानो | 1952 – Sanskaar – preet nibhani baalma tum kya jano

प्रीत निभानी, बालमा, तुम क्या जानो साजना, तुम क्या जानो डाली-डाली कोयल काली गीत गाए काहे ऐसे में चंचल दिल मचल जाए रुत है सुहानी, बालमा बालमा, तुम क्या जानो, साजना, तुम क्या जानो प्रीत निभानी, बालमा, तुम क्या जानो साजना, तुम क्या जानो घिरे बदरी, रैन कजरी डरा जाए अकेलापन मुझपे बिजली गिरा जाए … Continue reading

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